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मेरी मुराद मेरा मुद्दुआ गरीब नवाज ,
मेरी उम्मीद मेरा आसरा गरीब नवाज,
मेरे ख्वाजा की क्या शान है,
जिस पर नज़र गया वह दुनिया का सरदार हो गया.
जा कोई अमीर यहाँ , ना कोई गरीब हैं।
यहाँ तो बाबा सब , बस तेरे करीब हैं।
तेरी याद से ख्वाजा मेरे दिल में उजाले हैं
हम ख्वाजा वाले हैं सुनो जी हम ख्वाजा वाले हैं |
क्या पेशी तुझको चढाऊँ, ख्वाजा तेरी खिदमत में?
मेरी खुशियों कि झोली को नवाजा है बडी फुर्सत में ||
अजमेर की धरती पे चलना आसान नही यूं बोल उठी..!!
नूरानी तेरे दिल की धड़कन या #ख्वाजा_ मोइनुद्दीन_हसन..!!
मेरे #ख्वाजा, जब से तुम ह्रदय में बस गये
लगा तुम्हीं पे ध्यान, रज़ियल्लाहो अन्हो।
मेरा बड़ा वक्त सांवर दो।
मेरे ख्वाजा मुझे नवाज दो।
तेरी इक निगाह की बात है।
मेरी जिंदगी का सवाल है!!!
ख्वाजा गरीब नवाज अजमेरी उर्स मुबारक।
हमें नाज़ है बस तुझपर
किसी और पे नाज़ नहीं
तेरे जैसा ज़माने में कोई बंदा नवाज़ नहीं
तेरे देने दिलाने का अंदाज़ निराला है
किसी और का दुनियाँ में ऐसा अंदाज़ नहीं |
अदब करो की शाहे बेनजीर आते हैं,
अली के लाडले पीराने पीर आते हैं,
खुला है आज दरे क़ादरी चलो मस्तो,
तुम्हे पिलाने को पीराने पीर आते हैं।
याहा भीक मिलती है बे गुमा,
ये बड़े सखी का है आस्तान।
यह सब की भारती है झोलिया,
ये दार ए गरीब नवाज है।
मुराद है दिल में के ख्वाजा के दर पर जौ,
दुरुद ए पाक भेज कर ख्वाजा की दरगाह हो गौ।
आंखे तारस गई है दीदार करने को ओ ख्वाजा गो ,
बीएस इतनी इल्तेजा एच नचिज़ की आप की बरगाह में औ।
या ग़रीब नवाज़ ,
तू अहले सखी हे दुनिया को बता दूंगा।
हर मांगे वाले को मैं तेरा पता दूंगा।
ग़रीब नवाज़ उर्स मुबारक।
आओ फकीरो ईश्क की सौगात माग लो ,
जो चैन से बसर हो वो दीन रात माग लो,
दरवाजा है खुला हुआ ख्वाजा गरीब नवाज का आशीको।
ख्वाजा गरीब नवाज से पंजतन पाक की खैरात माग लो.
तेरे दूर पे हर बार झोली खाली लाते है,,
तू सुनता फरियाद सबकी कोई खाली हाथ नहीं जाते है।
या गरीब नवाज ख्वाजा जी तुम सबकी दुआ कबूल करना,
जो दूर से दुआ में अपनी फरियाद के लिएँ हाथ उठाते है।
रब के वलियों से है जिसे निस्बत.
वो तोह रब के करीब होता है.
वर्ण वलियों के घर पर आना भी.
कहां सबको नसीब होता है |
तू भी उठा हाथ दुआ को तेरा क्या जाता है..
कोई रोटा हुआ दिल तेरी दुआ से फिर मुस्कान है।
जिंदगी सबका इम्तेहान लेती है में सफर है..
जिसके साथ दुआ है वही पार कर पाता है।
बिगड़ा “नसीबा” भी “सवँर” जाता है ,
बंद “किस्मत” का ताला भी खुल जाता है।
दूर हो जाता है उस “जिंदगी” से हर “अंधेरा” ,
जो ख्वाजा गरीब नवाज के दर पर जाता है।
मचल के रख लिया करती हैं रहमतें उसको
पूकारता है कोई जब भी या गरीब नवाऩन
तुम्हारे वास्ते हम को किया खुढ रीब
हमारे वास्ते तुम को किया गरीब नवाज |
ये गरीब नवाज़ सबकी झोली ख़ुशी से भर देना,
जो दुआ में हाथ ना उठे उनकी भी झोली भर देना।,
तेरा करम तो सातो आसमान तक है।
जो तुझे ना जाने तो उनकी भी मुराद पूरी क्र देना ए।
बड़ी दूर से आया हूँ ख्वाना ,
तुम्हारी रहमतों का।
करिश्मा सुन के,थोड़ी सी तकदीर।
मेरी भी रंग दो ,
भरूपने पैरों की धूल से..!
#ख्वाजा
इंसानियत के नाते, इक बार तू है आजा,
तू ही है मेरा राज़ी , तू ही है मेरा ख्वाजा,
तेरे बिना ती जीना, जैसे सजा-ए-द्रिया,
तू जिंदगानी बन के, दुनिया मेरी सज़ा जा !!
नबी की आँख के तारे अली की जान है ख़्वाजा,
हुसैन इब्ने अली के मर्तबे की शान है ख्वाजा।
मुझसे अगर पूछे कोई के तेरा वास्ता क्या है,
पकड़ के ख्वाजा की जालिया कह दूँगा।
मेरा इमान है ख्वाजा।
ना कोई ऊपर यहाँ , जा कोई नीच हैं।
महाँ तो ख्वाना सब कुछ , तेरे मेरे बीच हैं।
आईना- ए -अजमेर कुछ ऐसा अक्स दिखाता हैं।
जर्रा जर्रा आशिक -ए-“ख़्वाजा” नजर आता हैं।।
मेरे ख्वाजा तेरी निस्बत का असर काफी है.,
हम गुलाम-पे तेरी एक नज़र काफी है.!
मन में खुशी के फूल खिले हैं
आज मोहे मोरे ख्वाजा मिले हैं
खुशियां मनाओ भाई झूम के गाओ
मोरे अंगना मोइनुद्दीन आये हैं |
मेरा बिगड़ा वक़्त सवार दो
मेरे ख्वाजा मुझको नवाज़ दो
तेरी एक निगाह की बात है
मेरी ज़िंदगी का सवाल है।।
हिन्द में हर जगह आपका नूर है
यह करामात ज़माने में मशहूर है
आपने मुर्दा इंसान को ज़िंदा किया
मेरे ख्वाजा पिया मेरे ख्वाजा पिया
हैं और भी दुनिया में सुहान-वर बहुत अच्छे कहते हैं
की ‘गालिब’ का है अंदाज-ए-बयान और।
क्यों गैर से हम जाकर कहें गम का फसाना
दरबार_ए_शेनशाह से जो मांगा है पाया।।।
मुझको करना ना दर से जुदा कभी ख्वाजा जी
दिल जो दीवाना बना है तो बना रहने दो |
जहाँ माँगने से मिले उसे संसार कहते है ,
जहाँ बिन माँगे मिले उसे मेरे ख्वाजा का दरबार कहते हैं।
ख्वाजा गरीब नवाज़ उसे मुबारक।
बड़ी दूर से चलते ऐ है ख्वाजा पिया की छत्ती है,
मेरे दिल ने कहा अजमेर चल
जहां रात दिन रहमत बरसी है।
हम को मालूम है जन्नत की हकीकत
लेकिन दिल को खुस रखने का ,
‘गालिब’ ये ख्याल अच्छा है।
बस डूबने वाला ही था के पाया किनारा
ख्वाजा के कर्म ने मेरी कश्ती को उभारा |
खाली हो जिसकी झोली उसकी झोली भर देता है
ए मेरे ख्वाजा पिया तू जिसके सर भी हाथ धर देता है |
मिला है मिल रहा है और मिलेगा तो उसी दर से
मेरे ख्वाजा तेरी चौखट से खाली जा नहीं सकता |
या ख्वाजा या ख्वाजा घर जल्दी से मेरे आजा ,
वह मंजर वो तराना ,
सब वलियों को लेकर आना।
या ख्वाजा या ख्वाजा घर जल्दी से मेरे आजा ,
हालात नहीं है जाने का ,
ना बना बहाना आने का।
या क्वाजा तुम्हारे रोजे पर ऐसे भी दीवाने आते हैं..
उर्स का बनाना होता है, तकदीर बना ने आते हैं..
अजमेर शरीफ उर्स मुबारक।
क्वाजा-ए-हिंद वो दरबार है आला तेरा,
कभी महरूम नहीं मंगनेवाला तेरा..
ग़रीब नवाज़ उर्स मुबारक।
या ख्वाजा या ख्वाजा घर जल्दी से मेरे आजा ,
हर बार तू बुलाया है।
इस बार मेंरे घर आजा।
बेतलब भीख यहाँ मिलती है आते जाते ,
यह वोह दर है जहाँ दिल नही तोड़े जाते।
ख्वाजा गरीब नवाज़ उर्स मुबारक।
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या ख्वाजा या ख्वाजा घर जल्दी से मेरे आजा ,
सुनले सलीम की ये पुकार ,
आएगी तेरे आने से बाहुर ,
या ख्वाजा या ख्वाजा घर जल्दी से मेरे आजा।।
तेरी ज़ात आला मक़ाम है।
तेरी बारगाह में सलाम है।
यहाँ किस्मतों का फ़ैसला ,
बस एक इशारे का काम है।
ये महफ़िल और ये गुनाहगार,
इस खुशकिस्मती पे हूँ निसार।
कुर्बान जाऊँ मैं हज़ारो बार ,
ये दरे ग़रीब नवाज़ है।
ये जगमगाता गुम्बद ,
और कुदसियों कि हाज़िरी।
जहाँ सर झुकाये हैं बादशाह ,
ये दरे ग़रीब नवाज़ है।
मेरा ख्वाजा आता ए रसूल है..
वो बहार इ चिश्त का फूल है..
वो बहार इ गुल्शन इ फ़ातिमा…
चमन ऐ अली का निहाल है!!!
दर पे दामन को फैलाने मे मुझे लाज नहीं ,
इक तेरे सिवा इस दिल पे किसी का राज नहीं ,
तेरे सोने के कलश जैसा कोई ताज नहीं ,
जो तेरा है वो किसी हाल मे मौहताज नहीं , |
उसे क्या मिटाए दुनियाँ जिसे आपने नवाज़ा
नक़्शे कदम पे तेरे यह गुलाम चल रहा है
तेरी रहमतों का दरिया सरेआम चल रहा है
ख्वाजा जी….
तुझको भेजा मदीने से सरकार ने
रब्ब के मेहबूब नबियों के सरदार ने
मुस्तफा जान ए रहमत की तू है सदा
मेरे ख्वाजा पिया मेरे ख्वाजा पिया |
अजमेर मुझे पहुंचा दे
खुदा चादर मैं चढ़ाऊँ फूलों की
छूटे ना कभी तेरा दामन
या ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन
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