सामाजिक शायरी
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150+Best सामाजिक शायरी हिंदी में || Samajik Shayari In Hindi

150+ समाजिक शायरी हिंदी में || Samajik Shayari In Hindi

नमस्कार दोस्तों हम आपके लिए लेकर आए हैं “सामाजिक शायरी इन हिंदी” & “Samajik Shayari in Hindi” का एक बहुत बड़ा और बेहतरीन कलेक्शन।

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सामाजिक शायरी

जीवन ही संघर्ष है, है सांसो का मोल
समय बीतता जा रहा, कुछ तो मीठा बोल ||
डिग्रिया तो तालीम के खर्चो की रसीदे है
इल्म वही जो किरदार मे झलकता है
हुस्न की तारीफ, सादगी का मजाक
कुछ ऐसा है आजकल, दुनिया का मिजाज!
शक्ल, सूरत देख दोस्ती करना युवाओ मे गलत प्रचलन है!
प्यार काटीट का नही संजीव दो आत्माओ का मिलन है!
झूठ और सच की बस ही इतनी कहानी है
जो झूठ है वो धुआँ है, जो असल है वो पानी है!
तमाम दौलत कमाकर भी तेरा शहर सस्ता है
ये सोचकर मेरे अंदर का गाँव हंसता है!

समाजिक शायरी हिंदी में

समुद्र यदि शांत हो तो कोई भी जहाज चला सकता है !
अंध-भक्ति और अंध-विरोध एक ही तराजू के दो पलड़े है!
नोट मे लक्ष्मी से ज्यादा अक्ल मे सरस्वती होनी चाहिए!
राजनीति के चक्कर मे जो पड़े है
कसम से अंदर तक नफरत से भरे है!
जिनकी लाइफ का कोई डायरेक्शन नही
वो लेफ्ट-राईट के झगड़े मे पड़े है!
क्या करने आये थे,
क्या कर बैठे कहीं मंदिर तो कहीं मस्जिद बना बैठे!
हमसे अच्छा तो वो पंछी है
जो कभी मंदिर पे तो कभी मस्जिद पर जा बैठे!
नेता वह है जो समाज का सुधार करे
वह नहीं जो खुद का ही प्रचार करे
चुनाव आए तो बन जाए मसीहा
चुनाव के बाद जनता पर अत्याचार करे

सामाजिक स्टेटस इन हिंदी || Samajik Status In Hindi

गिरगिट के शहर मे, रंगो की दुकान देखी है!
दिल मे जहर, होंठो पे झूठ मुस्कान देखी है!
रिश्तो को कुछ इस तरह बचाया कीजिए
कभी मान जाईये कभी मनाया कीजिए!
विचारक बनिए
प्रचारक नहीं |
कभी छोटी-छोटी खुशियां, कभी इन आँखो मे पानी
कितनी मस्त थी वो बचपना, कितनी सख्त है ये जवानी!
नजर आता है डर ही डर, तेरे घर-बार में अम्मा
नहीं आना मुझे, इतने बुरे संसार मे अम्मा!
हुस्न तारीफ और सादगी का मज़ाक होगा
यहीं दुनियादारी और दुनिया वालों का हिसाब होगा

Samaj sudhar shayari in hindi | समाज सुधार शायरी हिंदी में

रिश्तों को भी कुछ इस क़दर बचाया कीजिये
कभी खुद मान जाइये तो कभी उनको मनाया कीजिये।
देखकर दर्द किसी का जो आह निकल जाती है,
बस इतनी से बात आदमी को इंसान बनाती है ।
जरुरी नहीं की हर समय लबों पर खुदा का नाम आये,
वो लम्हा भी इबादत का होता है जब इंसान किसी के काम आये।
रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ,
ऐ मुश्किलों! देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ।
उसके खारेपन में भी कोई तो कशिश जरुर होगी,
वर्ना क्यूँ जाकर सागर से यूँ गंगाजल मिले ।
पूछता है जब कोई दुनिया में मोहब्बत है कहाँ,
मुस्करा देता हूँ और याद आ जाती है माँ।

समाज सेवा पर सुविचार l Samaj seva par suvichar

जिसकी सोच में खुद्दारी की महक है,
जिसके इरादों में हौसले की मिठास है,
और जिसकी नियत में सच्चाई का स्वाद है,
उसकी पूरी जिन्दगी महकता हुआ गुलाब है।
अपनों के दरमियां सियासत फ़िजूल है
मक़सद न हो कोई तो बग़ावत फ़िजूल है। ​​
रोज़ा, नमाज़, सदक़ा-ऐ-ख़ैरात या हो हज
माँ बाप ना खुश हों, तो इबादत फ़िजूल है।
ये मंजिलें बड़ी जिद्दी होती हैं,
हासिल कहां नसीब से होती हैं।
मगर वहां तूफान भी हार जाते हैं,
जहां कश्तियां जिद्द पे होती हैं।।
जिंदगी बहुत कुछ सिखाती है ,
कभी हँसाती है तो कभी रुलाती है ,
पर जो हर हाल में खुश रहते हैं ,
जिंदगी उन्ही के आगे सर झुकाती है।
हदे शहर से निकली तो गाँव गाँव चली,
कुछ यादें मेरे संग पांव-पांव चली,
सफ़र जो धुप का हुआ तो तजुर्बा हुआ,
वो जिंदगी ही क्या जो छाँव छाँव चली।
तुम कितना भी बहिष्कार करो,
मैं तो एक सामाजिक प्राणी हूँ।
दुनिया मुट्टी में करना आता है,
प्यार की दौलत का अंबानी हूँ।

सामाजिक मुद्दों पर शायरी

वो मस्जिद की खीर भी खाता है और मंदिर का लड्डू भी खाता है , वो भूखा है साहब इसे मजहब कहाँ समझ आता है।
पंछी ने जब जब किया पंखों पर विश्वास,
दूर दूर तक हो गया उसका ही आकाश।
वही दूसरों की मदत कर सकता हैं,
जो दर्द के एहसास को समझता हैं।
जिस दिन मरोगे उस दिन एक पेड़,
लेकर साथ जलोगे प्रकृति का जो।
कर्ज है वो तो चुका दो यारों,
जीते जी दो पेड़ तो लगा दो यारों।
सब चाहत रखते अपने लिए दुआ करे कोई,
आखिर दुआ करने का ज़िम्मा उठाए कौन।
हर कोई गरीब की पीड़ा दिखाता है लफ्जों में,
मगर उनकें आँसू पोछने आता हैं कौन।
चेहरे पर फेसबुक सी रौनक है,
दिल व्हाट्सप्प हुआ जा रहा है।
समाज से कटकर भी,
इंसान सोशल हुआ जा रहा है।

Social Awareness Shayari l सामाजिक जाग्रति शायरी

किसी का किया एहसान कभी भूलो मत,
और अपना किया एहसान कभी याद करो मत।
जहाँ हमारा स्वार्थ समाप्त होता है,
वही से हमारी इंसानियत आरम्भ होती है।
किस्मत तो उनकी भी होती है,
जिनके हाथ नहीं होते।
अपने अन्दर से अहंकार को निकाल कर स्वयं को हल्का करे,
क्योकि ऊँचा वाही उठता हैं जो हल्का होता हैं।
सारे सबक किताबों में नहीं मिलते यारों,
कुछ सबक जिंदगी भी सिखाती हैं।
हमेशा याद रखो जो होता हैं,
अच्छे के लिए होता हैं।

समाज में एकता पर सुविचार, शायरी, अनमोल वचन

ठोकरें ख़ाता हूँ पर,
शान से चलता हूँ।
मैं खुले आसमान के नीचे,
सीना तान के चलता हूँ।
गलत का विरोध खुलकर कीजिए,
चाहे राजनीति हो या समाज।
इतिहास टकराने वालो का लिखा जाता हैं,
तलवें चाटने वालों का नहीं।
समाज में बदलाव क्यों नहीं आता,
क्योंकि गरीब में हिम्मत नहीं।
मध्यम को फुर्सत नहीं,
अमीर को जरूरत नहीं।
आदमी गलती करके जो सीखता हैं,
वो किसी और तरह से नही सीख सकता।
एक ऐसा लक्ष्य भी होना चाहिए,
जो सुबह उठने पर मजबूर कर दे।
बहुत मुश्किल है उस शख्स को गिराना,
जिसको चलना ठोकरों ने सिखाया हो।

samajik shayari hindi image

दुनिया की हर चीज ठोकर लगने से टूट जाती है,
एक कामयाबी ही है जो ठोकर लगने से मिलती है।
जहाँ दूसरे को समझाना मुश्किल हो जाये,
वहाँ खुद को समझा लेना बहतर होता है।
किसी दूसरे का टाइमपास बनने से अच्छा है,
अपने करियर पर ध्यान दो।
जमीन जल चुकी है आसमान बाकि है ,
वो जो खेतों की मदों पर उदास बैठे हैं,
उन्ही की आँखों में अब तक ईमान बाकि है ,
बादलों अब तो बरस जाओ सूखी जमीनों पर ,
किसी का घर गिरवी है और किसी का लगान बाकि है ।
ज़मीर जिन्दा रख, कबीर जिंदा रख,
सुल्तान भी बन जाये तो, दिल में फ़कीर जिंदा रख,
हौसले के तरकश में कोशिश का वो तीर जिंदा रख,
हार जा चाहे जिंदगी में सब कुछ,
मगर फिर से जीतने की उम्मीद जिंदा रख।
अगर तुम चाहते हो कि
ज़रूरत पड़ने पर कोई तुम्हारी
फरिश्ता बन कर मदद करे
तो किसी जरूरतमंद के लिए
तुम भी फरिश्ता बन जाना

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