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दोस्तों आज की पोस्ट में हम आपके सामने जो शायरी लाये है वो Dr Kumar Vishwas ने लिखी है हमने जगह – जगह इन शायरियो को एकत्रित किया है। जो आपके दिल में अपनी एक अलग ही जगह बनाएगा, जिसे बार बार गुनगुनाने का दिल करेगा.
डॉ. कुमार विश्वास बहुत ही अच्छे हिंदी कवि है, इनके द्वारा लिखी गई शायरी हर व्यक्ति के द्वारा पसंद की जाती है। डॉ। कुमार विश्वास एक युवा पीढ़ी हिंदी भाषा के शायर और कवि हैं (कुमार विश्वास की best शायरी collection)और युवाओं की आवाज़ भी हैं।
डॉ कुमार विश्वास के बारे में अधिक जानने के लिए, Read this.
Kumar Vishwas Shayari in Hindi | कुमार विश्वास शायरी इन हिंदी
प्रथम पद पर वतन न हो, तो हम चुप रह नहीं सकते
किसी शव पर कफ़न न हो, तो हम चुप रह नहीं सकते
भले सत्ता को कोई भी सलामी दे न दे लेकिन
शहीदों को नमन न हो तो हम चुप रह नहीं सकते |
अपनों के अवरोध मिले, हर वक्त रवानी वही रही
साँसो में तुफानों की रफ़्तार पुरानी वही रही
लाख सिखाया दुनिया ने, हमको भी कारोबार मगर
धोखे खाते रहे और मन की नादानी वही रही…!!
कोई दीवाना कहता है, कोई पागल समझता है,
मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है.
मैं तुझसे दूर कैसा हूँ, तू मुझसे दूर कैसी है,
ये तेरा दिल समझता है या मेरा दिल समझता है.
तुमने अपने होठों से जब छुई थीं ये पलकें !
नींद के नसीबों में ख्वा़ब लौट आया था !!
रंग ढूँढने निकले लोग जब कबीले के !
तितलियों ने मीलों तक रास्ता दिखाया था !!
गिरेबान चेक करना क्या है सीना और मुश्किल है,
हर एक पल मुस्कुराकर अश्क पीना और मुश्किल है,
हमारी बदनसीबी ने हमें बस इतना सिखाया है,
किसी के इश्क़ में मरने से जीना और मुश्किल है.
मेरा अपना तजुर्बा है तुम्हे बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छू गया था तब के अब तक गा रहा हु मैं
बिछुड़ के तुम से अब कैसे जिया जाए बिना तड़पे
जो में खुद हे नहीं समझा वही समझा रहा हु मैं..
दिलों से दिलों का सफर आसान नहीं होता,
ठहरे हुए दरिया में तुफान नहीं होता,
मोहब्बत तो रूह में समा जाती है,
इसमें शब्दों का कोई काम नहीं होता,
मैं कवि हूं प्रेम का बांट रहा हूं प्रेम,
इससे बड़ा कोई काम नहीं होता”
मेरा जो भी तर्जुबा है, तुम्हे बतला रहा हूँ मैं
कोई लब छु गया था तब, की अब तक गा रहा हूँ मैं
बिछुड़ के तुम से अब कैसे, जिया जाये बिना तडपे
जो मैं खुद ही नहीं समझा, वही समझा रहा हु मैं
वो सब रंग बेरंग हैं जो ढूंढते व्यापार होली में,
विजेता हैं जिन्हें स्वीकार हर हार होली में,
मैं मंदिर से निकल आऊँ तुम मस्जिद से निकल आना,
तो मिलकर हम लगाएंगे गुलाल-ए-प्यार होली में
घर भर चाहे छोड़े
सूरज भी मुँह मोड़े
विदुर रहे मौन, छिने राज्य, स्वर्णरथ, घोड़े
माँ का बस प्यार, सार गीता का साथ रहे
पंचतत्व सौ पर है भारी, बतलाना है
जीवन का राजसूय यज्ञ फिर कराना है
पतझर का मतलब है, फिर बसंत आना है
डॉ. कुमार विश्वास की मशहूर शायरी
बतायें क्या हमें किन-किन सहारों ने सताया है
नदी तो कुछ नहीं बोली, किनारों ने सताया है
सदा ही शूल मेरी राह से ख़ुद हट गए लेकिन
मुझे तो हर घडी हर पल बहारों ने सताया है
पनाहों में जो आया हो तो उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो उस पे फिर अधिकार क्या करना
मुहब्बत का मजा तो डूबने की कशमकश में है
हो ग़र मालूम गहराई तो दरिया पार क्या करना।
हमें मालूम है दो दिल जुदाई सह नहीं सकते
मगर रस्मे-वफ़ा ये है कि ये भी कह नहीं सकते
जरा कुछ देर तुम उन साहिलों कि चीख सुन भर लो
जो लहरों में तो डूबे हैं, मगर संग बह नहीं सकते
मेरे जीने मरने में, तुम्हारा नाम आएगा
मैं सांस रोक लू फिर भी, यही इलज़ाम आएगा
हर एक धड़कन में जब तुम हो, तो फिर अपराध क्या मेरा
अगर राधा पुकारेंगी, तो घनश्याम आएगा
नज़र में शोखिया लब पर मुहब्बत का तराना है
मेरी उम्मीद की जद़ में अभी सारा जमाना है
कई जीते है दिल के देश पर मालूम है मुझकों
सिकन्दर हूं मुझे इक रोज खाली हाथ जाना है।
तुझ को गुरुर ए हुस्न है मुझ को सुरूर ए फ़न
दोनों को खुदपसंदगी की लत बुरी भी है
तुझ में छुपा के खुद को मैं रख दूँ मग़र मुझे
कुछ रख के भूल जाने की आदत बुरी भी है
मोहब्बत एक अहसासों की, पावन सी कहानी है,
कभी कबिरा दीवाना था, कभी मीरा दीवानी है,
यहाँ सब लोग कहते हैं, मेरी आंखों में आँसू हैं,
जो तू समझे तो मोती है, जो ना समझे तो पानी है।
हिम्मत ऐ दुआ बढ़ जाती है
हम चिरागों की इन हवाओ से
कोई तो जाके बता दे उसको
दर्द बढ़ता है अब दुआओं से
जो किए ही नहीं कभी मैंने ,
वो भी वादे निभा रहा हूँ मैं.
मुझसे फिर बात कर रही है वो,
फिर से बातों मे आ रहा हूँ मैं !!
रंग दुनियाने दिखाया है निराला, देखूँ
है अंधेरे में उजाला, तो उजाला देखूँ
आईना रख दे मेरे सामने, आखिर मैं भी
कैसा लगता हूँ तेरा चाहने वाला देखूँ !!
Kumar Vishwas Dosti Shayari in Hindi
अमावस की काली रातों में, जब दिल का दरवाजा खुलता है ,
जब दर्द की प्याली रातों में, गम आंसूं के संग होते हैं ,
जब पिछवाड़े के कमरे में , हम निपट अकेले होते हैं ,
मिले हर जख्म को मुस्कान को सीना नहीं आया
अमरता चाहते थे पर ज़हर पीना नहीं आया
तुम्हारी और मेरी दस्ता में फर्क इतना है
मुझे मरना नहीं आया तुम्हे जीना नहीं आया
इन उम्र से लम्बी सड़को को, मंज़िल पे पहुंचते देखा नहीं,
बस दोड़ती फिरती रहती हैं, हम ने तो ठहरते देखा नहीं..!!
सब अपने दिल के राजा है, सबकी कोई रानी है
भले प्रकाशित हो न हो पर सबकी कोई कहानी है
बहुत सरल है किसने कितना दर्द सहा
जिसकी जितनी आँख हँसे है, उतनी पीर पुराणी है
तुम अगर नहीं आयी गीत गा न पाउगा
सांस साथ छोड़ेगी, सुर सजा न पाउगा
तान भावना की है, शब्द शब्द दर्पण है
बांसुरी चली आओ, होठ का निमंत्रण है
एक दो दिन मे वो इकरार कहाँ आएगा ,
हर सुबह एक ही अखबार कहाँ आएगा ,
आज जो बांधा है इन में तो बहल जायेंगे ,
रोज इन बाहों का त्योहार कहाँ आएगा…!!
गम में हूँ य़ा हूँ शाद मुझे खुद पता नहीं
खुद को भी हूँ मैं याद मुझे खुद पता नहीं
मैं तुझको चाहता हूँ मगर माँगता नहीं
मौला मेरी मुराद मुझे खुद पता नहीं”
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
हमारे दिल में कोई ख्वाब पल बैठा तो हंगामा
अभी तक डूब कर सुनते थे सब किस्सा मोहब्बत का
मैं किस्से को हकीकत में बदल बैठा तो हंगामा
मै तेरा ख्वाब जी लून पर लाचारी है
मेरा गुरूर मेरी ख्वाहिसों पे भरी है
सुबह के सुर्ख उजालों से तेरी मांग से
मेरे सामने तो ये श्याह रात सारी है
एक पहाडे सा मेरी उँगलियों पे ठहरा है
तेरी चुप्पी का सबब क्या है? इसे हल कर दे
ये फ़क़त लफ्ज़ हैं तो रोक दे रस्ता इन का
और अगर सच है तो फिर बात मुकम्मल कर दे
Famous Kumar Vishwas Poetry, Shayari in Hindi
सदा तो धूप के हाथों में ही परचम नहीं होता
खुशी के घर में भी बोलों कभी क्या गम नहीं होता
फ़क़त इक आदमी के वास्तें जग छोड़ने वालो
फ़क़त उस आदमी से ये ज़माना कम नहीं होता।
सखियों संग रंगने की धमकी सुनकर क्या डर जाऊँगा?
तेरी गली में क्या होगा ये मालूम है पर आऊँगा,
भींग रही है काया सारी खजुराहो की मूरत सी,
इस दर्शन का और प्रदर्शन मत करना,
मर जाऊँगा!
जब बासी फीकी धुप समेटें , दिन जल्दी ढल जाता है ,
जब सूरज का लश्कर , छत से गलियों में देर से जाता है ,
ये दिल बर्बाद करके सो में क्यों आबाद रहते हो
कोई कल कह रहा था तुम अल्लाहाबाद रहते हो
ये कैसी शोहरतें मुझको अता कर दी मेरे मौला
मैं सभ कुछ भूल जाता हूँ मगर तुम याद रहते हो !!
कोई पत्थर की मूरत है, किसी पत्थर में मूरत है
लो हमने देख ली दुनिया, जो इतनी खुबसूरत है
जमाना अपनी समझे पर, मुझे अपनी खबर यह है
तुझे मेरी जरुरत है, मुझे तेरी जरुरत है
कोई कब तक महज सोचे,कोई कब तक महज गाए
ईलाही क्या ये मुमकिन है कि कुछ ऐसा भी हो जाऐ
मेरा मेहताब उसकी रात के आगोश मे पिघले
मैँ उसकी नीँद मेँ जागूँ वो मुझमे घुल के सो जाऐ
कोई खामोश है इतना, बहाने भूल आया हूँ
किसी की इक तरनुम में, तराने भूल आया हूँ
मेरी अब राह मत तकना कभी ए आसमां वालो
मैं इक चिड़िया की आँखों में, उड़ाने भूल आया हूँ
स्वंय से दूर हो तुम भी स्वंय से दूर है हम भी
बहुत मशहूर हो तुम भी बहुत मशहूर है हम भी
बड़े मगरूर हो तुम भी बड़े मगरूर है हम भी
अतः मजबूर हो तुम भी अतः मजबूर है हम भी
तुम्हारा ख़्वाब जैसे ग़म को अपनाने से डरता है
हमारी आखँ का आँसूं , ख़ुशी पाने से डरता है
अज़ब है लज़्ज़ते ग़म भी, जो मेरा दिल अभी कल तक़
तेरे जाने से डरता था वो अब आने से डरता है
मैं तेरा खोया या पाया हो नहीं सकता
तेरी शर्तो पे गायब या नुमाया हो नहीं सकता
भले साजिश से गहरे दफ़न मुझ को कर भी दो पर मैं
स्रजन का बीज हुँ मिटटी में जाया हो नहीं सकता
Kumar Vishwas 2 Line Shayari
जब बाबा वाली बैठक में कुछ रिश्ते वाले आते हैं ,
जब बाबा हमें बुलाते हैं , हम जाते हैं , घबराते हैं ,
जब साड़ी पहने एक लड़की का, एक फोटो लाया जाता है ,
जब भाभी हमें मनाती हैं , फोटो दिखलाया जाता है ,
जब भी आना उतर के वादी में ,
ज़रा सा चाँद लेते आना तुम |
वो पगली लड़की नौ दिन मेरे लिए भूखी रहती है ,
छुप -छुप सारे व्रत करती है , पर मुझसे कभी ना कहती है ,
हमने दुःख के महासिंधु से सुख का मोती बीना है
और उदासी के पंजों से हँसने का सुख छीना है
मान और सम्मान हमें ये याद दिलाते है पल पल
भीतर भीतर मरना है पर बाहर बाहर जीना है।
जमाना अपनी समझे पर, मुझे अपनी खबर यह है
तुझे मेरी जरुरत है, मुझे तेरी जरुरत है
बस उस पगली लड़की के संग जीना फुलवारी लगता है ,
और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भारी लगता है ||
जब जल्दी घर जाने की इच्छा , मन ही मन घुट जाती है ,
जब कॉलेज से घर लाने वाली , पहली बस छुट जाती है ,
चंद चेहरे लगेंगे अपने से ,
खुद को पर बेक़रार मत करना ,
आख़िरश दिल्लगी लगी दिल पर?
हम न कहते थे प्यार मत करना…!!
दीदी कहती हैं उस पगली लड़की की कुछ औकात नहीं ,
उसके दिल में भैया , तेरे जैसे प्यारे जज्बात नहीं ,
डॉ. कुमार विश्वास की प्रेरणादायी शायरी
तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है, समझता हूँ
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है, समझता हूँ
तुम्हें मैं भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नहीं लेकिन
तुम्हीं को भूलना सबसे जरूरी है, समझता हूँ
पनाहों में जो आया हो, उस पर वार क्या करना
जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर से अधिकार क्या करना
मोहब्बत का मज़ा तो, डूबने की कशमकश में है
जो हो मालूम गहरायी, तो दरिया पार क्या करना
हमारे शेर सुनकर भी जो खामोश इतना है
खुदा जाने गुरुर ए हुस्न में मदहोश कितना है
किसी प्याले से पूछा है सुराही ने सबब मय का
जो खुद बेहोश हो वो क्या बताये होश कितना है
ना पाने की खुशी है कुछ, ना खोने का ही कुछ गम है
ये दौलत और शोहरत सिर्फ, कुछ ज़ख्मों का मरहम है
अजब सी कशमकश है,रोज़ जीने, रोज़ मरने में
मुक्कमल ज़िन्दगी तो है, मगर पूरी से कुछ कम है
वो जिसका तीर चुपके से जिगर के पार होता है
वो कोई गैर क्या अपना ही रिश्तेदार होता है
किसी से अपने दिल की बात तू कहना ना भूले से
यहाँ ख़त भी थोड़ी देर में अखबार होता है
जब बड़की भाभी कहती हैं , कुछ सेहत का भी ध्यान करो ,
क्या लिखते हो दिनभर , कुछ सपनों का भी सम्मान करो ,
मिलते रहिए, कि मिलते रहने से
मिलते रहने का सिलसिला हूँ मैं.
जब बेमन से खाना खाने पर , माँ गुस्सा हो जाती है ,
जब लाख मन करने पर भी , पारो पढने आ जाती है
हर इक खोने में हर इक पाने में तेरी याद आती है
नमक आँखों में घुल जाने में तेरी याद आती है
तेरी अमृत भरी लहरों को क्या मालूम गंगा माँ
समंदर पार वीराने में तेरी याद आती है
उम्मीदों का फटा पैरहन,
रोज़-रोज़ सिलना पड़ता है,
तुम से मिलने की कोशिश में,
किस-किस से मिलना पड़ता है
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Kumar Vishwas Motivational Shayari in Hindi
हर ओर शिवम-सत्यम-सुन्दर ,
हर दिशा-दिशा मे हर हर है
जड़-चेतन मे अभिव्यक्त सतत ,
कंकर-कंकर मे शंकर है…”
तुम्हीं पे मरता है ये दिल अदावत क्यों नहीं करता,
कई जन्मों से बंदी है बगावत क्यों नहीं करता,
कभी तुमसे थी जो वो ही शिकायत है ज़माने से,
मेरी तारीफ़ करता है मोहब्बत क्यों नहीं करता।
कलम को खून में खुद के डुबोता हूँ तो हंगामा
गिरेबां अपना आंसू में भिगोता हूँ तो हंगामा
नही मुझ पर भी जो खुद की खबर वो है जमाने पर
मैं हंसता हूँ तो हंगामा, मैं रोता हूँ तो हंगामा.
राजवंश रूठे तो
राजमुकुट टूटे तो
सीतापति-राघव से राजमहल छूटे तो
आशा मत हार, पार सागर के एक बार
पत्थर में प्राण फूँक, सेतु फिर बनाना है
पतझर का मतलब है फिर बसंत आना है
तूफ़ानी लहरें हों
अम्बर के पहरे हों
पुरवा के दामन पर दाग़ बहुत गहरे हों
सागर के माँझी मत मन को तू हारना
जीवन के क्रम में जो खोया है, पाना है
पतझर का मतलब है फिर बसंत आना है !!
मैं उसका हूँ वो इस एहसास से इनकार करती है
भरी महफ़िल में भी, रुसवा हर बार करती है
यकीं है सारी दुनिया को, खफा है हमसे वो लेकिन
मुझे मालूम है फिर भी मुझी से प्यार करता है
मैं अपने गीतों और ग़ज़लों से उसे पेगाम करता हु
उसकी दी हुई दौलत उसी के नाम करता हूँ
हवा का काम है चलना, दिए का काम है जलना
वो अपना काम करती है, में अपना काम करता हूँ
जब कमरे में सन्नाटे की आवाज सुनाई देती है ,
जब दर्पण में आँखों के नीचे झाई दिखाई देती है |
कितनी दुनिया है मुझे ज़िन्दगी देने वाली
और एक ख्वाब है तेरा की जो मर जाता है
खुद को तरतीब से जोड़ूँ तो कहा से जोड़ूँ
मेरी मिट्टी में जो तू है की बिखर जाता है |
कोई मंजिल नहीं जंचती, सफर अच्छा नहीं लगता
अगर घर लौट भी आऊ तो घर अच्छा नहीं लगता
करूं कुछ भी मैं अब दुनिया को सब अच्छा ही लगता है
मुझे कुछ भी तुम्हारे बिन मगर अच्छा नहीं लगता।
उन की ख़ैर-ओ-ख़बर नहीं मिलती
हम को ही ख़ास कर नहीं मिलती
शाएरी को नज़र नहीं मिलती
मुझ को तू ही अगर नहीं मिलती
रूह में दिल में जिस्म में दुनिया ढूँढता हूँ
मगर नहीं मिलती
लोग कहते हैं रूह बिकती है
मैं जिधर हूँ उधर नहीं मिलती||
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